24. मोक्षमार्ग के लिए रत्नत्रय की उपादेयता
मोक्षमार्ग के लिए रत्नत्रय की उपादेयता इस जगत् में चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करते हुए इस जीव ने एक प्रदेश भी ऐसा नहीं छोड़ा है कि जहाँ जन्म न लिया हो क्योंकि सर्वत्र भ्रमण कर चुका है। जिनेन्द्र भगवान के वचनों को नहीं प्राप्त करते हुए ही इस जीव ने संसार में भ्रमण किया…