विशेष उद्बोधन
विशेष उद्बोधन -गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी (१) महामंत्र अनादि है-श्री उमास्वामी का स्तोत्र पाठ चत्तारि मंगल अनादि है-सुधारा पाठ नहीं पढ़ना, यह निर्वाणोत्सव से आया है। (श्वेताम्बरों से) (२) चतुर्थकालीनवाणी-श्री गौतम स्वामी के मुख से निकली है, गीर्वाणी भाषा में। ‘‘जयति भगवान्’’ चैत्यभक्ति। यह संस्कृत में है-प्रमाण है। पं. लालाराम जी शास्त्री के उद्गार आदि।…