09. पूजा नं.-8
पूजा नं.-8 मोक्षमार्ग के नेता त्रिभुवन वेत्ता वर तीर्थंकर। चिच्चैतन्य सुधारस प्यासे, भविजन को क्षेमंकर।। उनका इत आह्वानन करके, पूजूँ मन वच तन से। आतम अनुभव अमृत हेतू वंदूँ अंजलि करके।।१।। ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्यमहाशोकध्वजादिशतनाममंत्रसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्यमहाशोकध्वजादिशतनाममंत्रसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं श्रीऋषभदेवस्यमहाशोकध्वजादिशतनाममंत्रसमूह! अत्र मम सन्निहितो भव…