05.2 आर्यिकाओं की आगमोक्त विनय विधि
आर्यिकाओं की आगमोक्त विनय विधि भारतदेश की पवित्र वसुन्धरा पर जैनशासन के अनुसार मुनि-आर्यिका, क्षुल्लक-क्षुल्लिका रूप चतुर्विध संघ परम्परा की व्यवस्था अनादिकाल से चली आ रही है। उनमें जहाँ दिगम्बर मुनियों को धर्मेश्वर के अंश कहकर सम्बोधित किया गया है, वहीं आर्यिका माताओं को ‘‘सद्धर्मकन्या’’ संज्ञा प्रदान की गई है। यथा- तत्र प्रत्यक्षधर्माणो, धर्मेशांशो इवामला:।…