04.2 संस्कार, सादगी और संयमाचरण
संस्कार, सादगी और संयमाचरण आत्मा पर सुसंस्कार के लिये, उसे पूज्य व मूल्यवान बनाने के लिये ही मन्दिर आदि बने हैं। वहाँ वीतराग को इसी भावना से नमस्कार करते हैं कि उनके जैसे गुण हमारी आत्मा में भी प्रकट हों। आत्मा के संस्कार ही मानव के लिये उपादेय हैं। सुख चाहते हो तो धन सम्पत्ति…