02.3 मानव धर्म की विराट भूमिका
मानव धर्म की विराट भूमिका ‘योगशास्त्र’ में योग के विविध अंगों का वर्णन है, जिन पर चलकर कोई भी साधक लघु से महान, क्षुद्र से विराट और जीवन की अनन्त दिव्यता का वरण कर सकता है। स्त्री या पुरुष, जैन या अजैन, मानव मात्र उसका आचरण कर सकता है। ऐसे सहज, सरल एवं व्यापक मानव…