03.1 श्रमणाचार के अन्तर्गत मूलगुण
श्रमणाचार के अन्तर्गत मूलगुण १.१ श्रमणाचार- जैनाचार का प्रमुख उद्देश्य अनादिकालीन राग-द्वेषादिक विकारों का समूल उच्छेदकर आत्मा की शुद्ध-बुद्ध अवस्था को प्राप्त करना है। इसलिए श्रावक अपने ‘श्रावक-धर्म’ संबंधी नियमों का पालन करता हुआ साधुत्व की ओर कदम बढ़ाता है। जो अपनी आत्मा की उपलब्धि के लिए सतत साधनारत रहता है, वह साधु है। जैन…