ओस
ओस ओस जल की बूंद का नाम है । जब शरदऋतु आती है अत्यन्त सर्दी के उस मौसम में प्रात:काल ओस की बूंदे टपकती है जो जलरूप रहती है । यह ओस की बूंदे घास, हरे पत्तों आदि पर पड़ती है जो कि औषधि रूप में काम आती है । कमलपत्र आदि पड़ी यह ओस…
ओस ओस जल की बूंद का नाम है । जब शरदऋतु आती है अत्यन्त सर्दी के उस मौसम में प्रात:काल ओस की बूंदे टपकती है जो जलरूप रहती है । यह ओस की बूंदे घास, हरे पत्तों आदि पर पड़ती है जो कि औषधि रूप में काम आती है । कमलपत्र आदि पड़ी यह ओस…
ओला जो भक्षण करने योग्य न हो वह अभक्ष्य कहलाते हैं । श्री स्वामी समन्तभद्राचार्य ने अभक्ष्य को बतलाते हुए कहा – त्रसहति परिहरणार्थ क्षौद्रं पिशितं प्रमादपरिहृतये । मद्यं च वर्जनीयं जिनचरणौ शरणमुपयातै: ।।८४।। मूलत: अभक्ष्य के त्रसहिंसाकारक आदि पांच भेद बताए हैं तथा अभक्ष्य बाईस भी माने है जो इस प्रकार हैं – ओला,…
ओजाहार आहार अनेको प्रकार का होता है । उपभोग्य शरीर के योग्य पुद्गलों का ग्रहण आहार है । वह आहार शरीर नामकर्म के उदय तथा विग्रहगति नाम के उदय के अभाव से होता है । आहार के भेद प्रभेद में आगम में चार प्रकार के आहार के भेदो का उल्लेख मिलता है जिसकी सूची इस…
विभिन्न दर्शनों के अनुसार जीव का स्वरूप ४.१ इस दृश्य जगत् में जब से मानव ने आँखे खोलीं, तभी से ‘आत्मतत्त्व’ को जानने की इच्छा की प्रक्रिया शुरू हुई। इसी आत्मतत्त्व को जैनदर्शन ‘जीव’ के रूप में, सांख्य दर्शन पुरुष के रूप में और अन्य दर्शन आत्मा के रूप में अभिहित करते हैं। जीवविचार अन्य…
ओज शरीर में शुक्रनाम की धातु का नाम ओज है । औदारिक शरीर में ओज एक अंजलि प्रमाण है । धवला ग्रन्थ में इसकी परिभाषा बताई है कि – जिस राशि को चार से अवहृत (भाग) करने पर दो रूप शेष रहते है वह बादर युग्म कही जाती है जिसको चार से भाग करने पर…
गतियों की अपेक्षा व अन्य अपेक्षा से जीवों के भेद 3.1 जीवों के भेद (Kinds of Living-beings)- गतियों की अपेक्षा जीवों के ४ भेद हैं-नारकी, तिर्यंच, मनुष्य और देव। यहां इनका संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा है। १. नारकी- नरक में रहने वाले जीव नारकी हैं। ये हुण्डक संस्थान वाले, नपुंसक और पंचेन्द्रिय होते हैं।…
ओघालोचना प्रतिक्षण उदित होने वाले कषायोजनित जो अन्तरंग व बाह्म दोष साधक की प्रतीति में आते हैं जीवन सोधन के लिए उनका दूर करना अत्यन्त आवश्यक है इस प्रयोजन की सिद्धि के लिए आलोचना सबसे उत्तम मार्ग है । सर्वार्थसिद्धि ग्रन्थ के अनुसार – गुरू के समक्ष दस दोषों को टाल कर अपने प्रमाद का…
जीव द्रव्य, इन्द्रियों की अपेक्षा भेद २.१ जीव (Jeev or Soul)- जिसमें चेतना गुण है, वह जीव है। जीव का असाधारण लक्षण चेतना है और वह चेतना जानने व देखने रूप है अर्थात् जो देखता है और जानता है, वह जीव है। ज्ञान-दर्शन जीव का गुण या स्वभाव है। कोई जीव बिना ज्ञान के नहीं…
द्रव्य-विवेचन, गुण पर्याय का स्वरूप १.१ द्रव्य का स्वरूप (Nature of Realities)- जैन दर्शन में पदार्थ को सत् कहा गया है। सत् द्रव्य का लक्षण है। यह उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य लक्षण वाला है। जगत् का प्रत्येक पदार्थ परिणमनशील है। सारा विश्व परिवर्तन की धारा में बहा जा रहा है। जहाँ भी हमारी दृष्टि जाती रही है सब…