02.2 तीन गुणव्रत
तीन गुणव्रत २.१ गुणव्रतों के नाम- दिग्व्रतमनर्थदण्ड, व्रतं च भोगोपभोग-परिमाणं। अनुवृंहणाद् गुणाना-माख्यान्ति गुणव्रतान्यार्या:।।६७।। जो मूलगुणों की वृद्धि करते हैं और दृढ़ करते हैं श्री गणधरदेव उन्हें गुणव्रत कहते हैं। उसके दिग्व्रत, अनर्थदण्डविरतिव्रत और भोगोपभोग परिमाणव्रत भेद हैं। इन तीनों का जो पालन करते हैं वे जगत में अनुपम सुख को प्राप्त करते हैं। विशेष-पं. श्री…