05.2 जैन कला और पुरातत्व
जैन कला और पुरातत्व २.१ जैन परम्परा के अनुसार इस अवसर्पिणी काल में ह्रास होते-होते जब भोगभूमि का स्थान कर्मभूमि ने ले लिया तो भगवान् ऋषभदेव ने जनता के योगक्षेम के लिए पुरुषों की बहत्तर कलाओं और स्त्रियों के चौसठ गुणों को बतलाया। जैन अंग साहित्य के तेरहवें पूर्व में उनका विस्तृत वर्णन था, वह…