07. बलऋद्धि पूजा
पूजा नं.-7 बलऋद्धि पूजा —अथ स्थापना—गीता छंद— मन वचन तन का करें निग्रह आत्म अनुग्रह नित करें। वे साधु त्रिकरण शुद्धि कर निज आत्म को पावन करें।। मनबल बचनबल कायबल की ऋद्धि को प्रगटित करें। उन साधु का आह्वानन कर निज शक्ति को विकसित करें।।१।। ॐ ह्रीं त्रिविधबलऋद्धिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…