06. तपऋद्धि पूजा
पूजा नं.-6 तपऋद्धि पूजा —अथ स्थापना—अडिल्ल छंद— चउ आराधन आराधें योगीश्वरा। सप्त परम स्थान पावते श्रुतधरा।। सात ऋद्धि तप की तपबल से पावते। उनकी पूजा करते हम शिर नावते।।१।। ॐ ह्रीं सप्तविधतप:ऋद्धिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं सप्तविधतप:ऋद्धिसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं सप्तविधतप:ऋद्धिसमूह! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्…