04. सद्गृहस्थ परमस्थानप्रदायक श्री चन्द्रप्रभ पूजा
सद्गृहस्थ परमस्थानप्रदायक श्री चन्द्रप्रभ पूजा -अथ स्थापना-नरेन्द्र छंद- अर्धचन्द्र सम सिद्ध शिला पर, श्रीचन्द्रप्रभ राजें। चन्द्रकिरण सम देह कांति को, देख चन्द्र भी लाजे।। सद्गार्हस्थ्य परमपद पाऊँ, नाथ! आप गुण गाके। आह्वानन स्थापन करके, यजन करूँ हर्षाके।।१।। ॐ ह्रीं अर्हं सद्गार्हस्थ्य-परमस्थानप्रदायक! श्रीचन्द्रप्रभतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हं सद्गार्हस्थ्य-परमस्थानप्रदायक! श्रीचन्द्रप्रभतीर्थंकर! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…