(संग्रहनय का विषय)
(संग्रहनय का विषय) तात्पर्यवृत्ति-संग्रहनय सत्सामान्य शुद्ध द्रव्य को विषय करता है क्योंकि उसमें अन्य उपाधि से रहित होने से ही शुद्धि संभव है। ‘सामान्य को विषय करने वाला ही नय संग्रह है वह स्वजाति के अविरोध से भेदोें से सहित ऐसी पर्यायों में एकत्व को प्राप्त करके समस्त को ग्रहण करने वाला ‘संग्रह’ कहलाता है।…