22. लघु पुण्याहवाचन
लघु पुण्याहवाचन पुण्याहवाचन के पूर्व एक पट्टे या चौकी पर श्वेत चावल बिछावें और उसके ऊपर ह्रीं एवं स्वस्तिक बनाकर जल से परिपूर्ण कलश में हल्दी, सुपारी, सरसों, नवरत्न, गंध, अक्षतादिक मंगल द्रव्य डालें एवं मुख पर नारियल, नागर…
लघु पुण्याहवाचन पुण्याहवाचन के पूर्व एक पट्टे या चौकी पर श्वेत चावल बिछावें और उसके ऊपर ह्रीं एवं स्वस्तिक बनाकर जल से परिपूर्ण कलश में हल्दी, सुपारी, सरसों, नवरत्न, गंध, अक्षतादिक मंगल द्रव्य डालें एवं मुख पर नारियल, नागर…
मंगलाष्टकस्तोत्रम् -शार्दूलविक्रीडितछंद:- सिद्धे: कारणमुत्तमा जिनवरा, आर्हंत्यलक्ष्मीवरा:। मुख्या ये रसदिग्युता गुणभृतस्त्रैलोक्यपूजामिता:।। चित्ताब्जं प्रविकासयंतु मम भो! ज्योति:प्रभा भास्करा:। तीर्थेशा वृषभादिवीरचरमा: कुर्वंतु नो मंगलम्।।१।। या शैवल्यविभा निहंति भविनां, ध्वांतं मन:स्थं महत्। सा ज्योति: प्रकटीक्रियान्मम मनो-मोहान्धकारं हरेत्।। या आश्रित्य वसंति द्वादशगणा, वाणीसुधापायिन:। तास्तीर्थेशसभा अनंतसुखदा:, कुर्वन्तु नो मंगलम्।।२।। पूज्यां गंधकुटी दधाति कटनी, रत्नादिभिर्निर्मिता। एतस्यां हरिविष्टरे मणिमये, मुक्ताफलाद्यैर्युते।। आकाशे चतुरंगुले जिनवरास्तिष्ठंति…
हवनविधि (इसमें सर्वप्रथम संकल्प करके पुण्याहवाचन करें) संकल्प मंत्र—शेर छंद— अर्हंत देव कथित दयामूल धर्म है। याजक व श्रावकों के लिये सौख्य मर्म है।। इन धर्मनिष्ठ जनों को सद्धर्म वृद्धि हो। श्रीबल व आयु स्वास्थ्य व ऐश्वर्य वृद्धि हो।।१।। अथ श्रीमज्जिनशासने भगवतो…
अथ कुमुदादिद्वारपालानुकूलनं —दोहा— पूर्वादि चउ द्वार की, विधिवत् रक्षा हेतु। कुमुद आदि सुर को जजूँ, निज पर मंगल हेतु।। (तोरणों के पास आदि स्थानों में पुष्पांजलि क्षेपण करें।) बहु धान्य अंकुरों से मंगल सुद्रव्य से। मंगल कलश से शोभे वर स्वस्तिकादि से।। जिनयज्ञ में सुवर्णदण्ड हाथ में धरें। पूरब के कुमुद द्वारपाल विघ्न परिहरें।।२।। ॐ…
अथ मंडप प्रतिष्ठा विधान चाल—शेर— ॐ मणिमयी स्तंभ से उँचा महामंडप। दसविध ध्वजाओं से महारमणीय है मंडप।। तोरण चंदोवा चंवर छत्र पुष्पहार से। अतिशोभता मंगल कलश व धूप घटों से।।१।। मंडपांत: पुष्पांजलिं क्षिपेत्। (मंडप के अन्दर…
अथ भूमिशोधन (मंडप शुद्धि)—दोहा— घंटां ताल मृदंग ध्वनि, दुंदुभि वाद्य बजंत। जय जय मंगल ध्वनि करूँ, पुष्पांजलि विकिरंत।।१।। ॐ घंटादिवाद्यं उद्घोषयामि स्वाहा। (बाजों पर पुष्पांजलि क्षेपण कर घंटा, मंजीरा, ढोलक आदि बाजे बजाकर जय जय ध्वनि करें।) ॐ ह्रीं परमब्रह्मणे नमो नम:। स्वस्ति स्वस्ति जीव जीव नंद नंद वर्धस्व-वर्धस्व विजयस्व विजयस्व अनुशाधि अनुशाधि पुनीहि पुनीहि…
यज्ञ दीक्षा विधान —बसंततिलका छंद— अर्हंत सन्मुख धरी सब वस्तुयें हैं। मंत्रित किया वर अनादि सुमंत्र से मैं।। श्रीमान् गुरुवर निकट यह यज्ञ दीक्षा। लेकर जिनेंद्रवर पूजन को करूँ मैं।।१।। (चंदन, माला, मुकुट आदि प्रसाधन वस्तुयें एक पात्र…
सर्वसाधु पूजा स्थापना—गीताछंद जो नित्य मुक्तीमार्ग रत्नत्रय स्वयं साधें सही। वे साधु संसाराब्धि तर पाते स्वयं ही शिव मही।। वहं पे सदा स्वात्मैक परमानंद सुख को भोगते। उनकी करे हम अर्चना, वे भक्त मन मल धोवते।।१।। ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं सर्वसाधुपरमेष्ठिसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं सर्वसाधुपरमेष्ठिसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…
सिद्ध पूजा स्थापना—गीताछंद श्री सिद्ध परमेष्ठी अनंतानंत त्रैकालिक कहे। त्रिभुवन शिखर पर राजते वह सासते स्थिर रहे।। वे कर्म आठों नाश कर, गुण आठधर कृतकृत्य हैं। कर थापना मैं पूजहूँ, उनको नमें नित भव्य हैं।।१।। ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।…
अथ महामंडलाराधना जिनानामपि सिद्धानां महर्षीणां समर्चनात्। पाठात्स्वस्त्ययनस्यापि मन:पूर्वं प्रसादये।।१।। मन: प्रसत्तिसूचनार्थं अर्चनापीठाग्रत: पुष्पांजलिं क्षिपेत्। अर्हन्त पूजा स्थापना—गीता छंद अरिहंत प्रभु ने घातिया को घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह दोष का सब क्षय किया।। शत इंद्र नित पूजें उन्हें गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना के हेतु अभिनन्दन…