06. बत्तीस गुण सहित तृतीय पूजा
पूजा नं.—3 बत्तीस गुण सहित तृतीय पूजा अथ स्थापना स्वयंसिद्ध, जय स्वयंसिद्ध, मम हृदय विराजो-२।। हम यही भावना भाते हैं, ऐसा जीवन का प्रतिक्षण हो। हो रसना पर सिद्धाय नम:, अनुभव में ज्ञानामृत कण हों।।हम.।।१।। सब सिद्ध प्रभू सिद्धालय में, अगणित गुणमणि रत्नाकर हैं। अगणित गुण……। कतिपय बत्तिस गुण के स्वामी, फिर भी अनंत गुण…