सरस्वती माता की पूजा रचयित्री-गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी जिनदेव के मुख से खिरी, दिव्यध्वनी अनअक्षरी। गणधर ग्रहण कर द्वादशांगी, ग्रंथमय रचना करी।। इन अंग पूरब शास्त्र के ही, अंश ये सब शास्त्र हैं। उस जैनवाणी को जजूँ, जो ज्ञान अमृतसार है।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलविनिर्गतद्वादशांगमयी सरस्वती देवि! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।…
सरस्वती देवी के १०८ मंत्र अर्हद्वक्त्राब्जसंभूतां, गणाधीशावतारितां । महर्षिधारितां स्तोष्ये, नाम्नामष्टशतेन गां ।। १. ॐ ह्रीं श्री आदिब्रह्ममुखाम्भोज प्रभवायै…
सरस्वती के प्रतीक सरस्वती ज्ञान की मूर्ति है,उसके अंग तथा वस्त्राभूषण अपने में प्रतीकात्मक अर्थ को छिपाए हुए हैं, इनका किंचित विवेचना प्रस्तुत है- निर्मल शुभ्रमुख- निर्मल शुभ्रमुख ज्ञान के प्रकाशमान स्वरूप का प्रतीक है उसके मुख को करोड़ों चन्द्रमाओं और सूर्यों से रचित बतलाया है। सूर्य दिन के अंधकार को दूर…