अंक गणित!
अंक गणित Arithmatic : a branch of Mathematics. गणित की एक शाखा जो ० से ९ तक के अंकों पर आधारित है
अंक गणित Arithmatic : a branch of Mathematics. गणित की एक शाखा जो ० से ९ तक के अंकों पर आधारित है
घर का वास्तु कैसा हो प्रस्तुति – पवन जैन पापड़ीवाल ( वास्तुशास्त्री )- औरंगाबाद ( महाराष्ट्र ) ।। श्री वीतरागाय नमः ।। आज के इस भागदौड की जिंदगी में इन्सान का सबसे बड़ा और सबसे सुंदर सपना (ख्वाब) होता है उसका एक छोटा सा प्यारा सा अपना एक घर ! बहुत बार ऐसा होता है…
अगर थक गई हों आपकी आँखें डिजिटल दुनिया में ज्यादातर लोगों का वक्त लैपटाॅप,कम्प्यूटर और मोबाइल पर काम करते हुए गुजरता है | घंटों स्क्रीन के आगे बैठे रहने से आँखों पर दबाव पड़ता है,इससे आँखों में दर्द,धुंधला या साफ न दिखाई पड़ना जैसी समस्याएं हो जाती हैं | अगर आपकी आंखों में दर्द हो…
भक्तामर पूजन भक्तामर व्रत में स्थापना अर्चन करो रे, श्री आदिनाथ के चरण कमल का, अर्चन करो रे। अर्चन करो, पूजन करो, वंदन करो रे, श्री ऋषभदेव के चरण कमल मेंं, वन्दन करो रे।। भक्त अमर भी जिन चरणों में, आकर शीश झुकाते हैं। निज मुकुटों की मणियों से, अद्भुत प्रकाश फैलाते…
पुण्यास्रव पूजा पुण्यास्रव व्रत में अथ स्थापना (शंभु छंद) अर्हंत जिनेश्वर सांप्रायिक, आस्रव से रहित पूर्ण ज्ञानी। ये पुण्य के फल हैं पुण्यराशि, पुण्यास्रव के कारण ज्ञानी।। हम इनका आह्वानन करके, भक्ती से अर्चा करते हैं। इनकी पूजन से पापास्रव, नहिं हो यह वांछा करते हैं।।१।। ॐ ह्रीं सर्वास्रवविरहित-अर्हज्जिनेश्वर! अत्र अवतर अवतर…
नवग्रह शांति पूजा नवग्रह शांति व्रत में (स्थापना) कुसुमलता छंद काल अनादी से कर्मों के, ग्रह ने मुझे सताया है। उनका निग्रह करने का अब, भाव हृदय में आया है।। इसीलिए ग्रह शान्ती हेतू, पूजा पाठ रचाया है। तीर्थंकर प्रभु के अर्चन को, मैंने थाल सजाया है।।१।। दोहा आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण महान।…
नव केवललब्धि पूजा स्थापना गीताछन्द अरिहंत प्रभु ने घातिया को, घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह, दोष का सब क्षय किया।। शत इन्द्र नित पूजें उन्हें, गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना के, हेतु अभिनंदन करें।।१।। ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं श्री अर्हत्परमेष्ठि समूह! अत्र अवतर…
नेमिनाथ पूजा छंद-लक्ष्मी तथा अर्द्धलक्ष्मीधरा जैतिजै जैतिजै जैतिजै नेमकी, धर्म औतार दातार श्यौचैनकी। श्रीशिवानंद भौफंद निकन्द ध्यावै, जिन्हें इंद्र नागेन्द्र ओ मैनकी।। पर्मकल्यान के देनहारे तुम्हीं, देव हो एव तातें करों ऐनकी। थापि हौ वार त्रै शुद्ध उच्चारत्रै, शुद्धताधार भौपारकूँ लेनकी।। ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र! अत्र…
नन्दीश्वरद्वीप पूजा (कविवर द्यानतरायजी कृत) सरब परव में बड़ो अठाई परव है। नंदीश्वर सुर जाहिं लिये वसु दरब है।। हमैं सकति सो नाहिं इहाँ करि थापना। पूजैं जिनगृह-प्रतिमा है हित आपना।। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे द्विपञ्चाशज्जिनालयस्थ-जिनप्रतिमासमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीनंदीश्वरद्वीपे द्विपञ्चाशज्जिनालयस्थ-जिनप्रतिमासमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ…
त्रैलोक्य जिनालय पूजा स्थापना नरेन्द्र छंद त्रिभुवन के जिनमंदिर शाश्वत, आठ कोटि सुखराशी। छप्पन लाख हजार सत्यानवे, चार शतक इक्यासी।। प्रति जिनगृह में मणिमय प्रतिमा, इक सौ आठ विराजें। आह्वानन कर जजूँ यहाँ मैं, जन्म-मरण दु:ख भाजें।।१।। ॐ ह्रीं त्रिलोकसंबंधि अष्टकोटिषट्पंचाशल्लक्ष-सप्तनवतिसहस्रचतु:शतैकाशीतिजिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं त्रिलोकसंबंधि अष्टकोटिषट्पंचाशल्लक्ष-सप्तनवतिसहस्रचतु:शतैकाशीतिजिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ…