देव-शास्त्र-गुरु पूजा
देव-शास्त्र-गुरु पूजा अडिल्ल छन्द प्रथम देव अरिहंत सुश्रुत सिद्धान्त जू, गुरु निग्र्रन्थ महन्त मुकतिपुर पन्थ जू, तीन रतन जग माँहि सो ये भवि ध्याइये, तिनकी भक्तिप्रसाद परमपद पाइये।। दोहा पूजों पद अरिहंत के, पूजों गुरुपद सार। पूजों देवी सरस्वती, नितप्रति अष्टप्रकार।।१।। ॐ ह्रीं देव-शास्त्र-गुरु-समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …