02. पूजामुखविधि
पूजामुखविधि नि:संग हो हे नाथ! आप दर्श को आया। स्नान त्रय से शुद्ध धौत वस्त्र धराया।। त्रैलोक्य तिलक जिनभवन की वंदना करूँ। जिनदेवदेव को नमूँ संपूर्ण सुख भरूँ।।१।। (जिनमंदिर के निकट पहुँचकर यह श्लोक पढ़कर मंदिर को नमस्कार कर चारों दिशा में तीन-तीन आवर्त एक-एक शिरोनति करते हुए मंदिर की तीन प्रदक्षिणा देवें पुन: पैर…