सुदर्शन मेरु पूजा
सुदर्शन मेरु पूजा अथ स्थापना …
सिद्ध परमेष्ठी पूजा स्थापना गीता छन्द श्री सिद्ध परमेष्ठी अनन्तानन्त त्रैकालिक कहे। त्रिभुवन शिखर पर राजते, वह सासते स्थिर रहें।। वे कर्म आठों नाश कर, गुण आठ धर कृतकृत्य हैं। कर थापना मैं पूजहूँ, उनको नमें नित भव्य हैं।।१।। ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं श्रीसिद्धपरमेष्ठिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं णमो…
सम्मेदशिखर पूजन अथ स्थापना शंभु छन्द गिरिवर सम्मेदशिखर पावन, श्रीसिद्धक्षेत्र मुनिगण वंदित। सब तीर्थंकर इस ही गिरि से, होते हैं मुक्तिवधू अधिपति।। मुनिगण असंख्य इस पर्वत से, निर्वाण धाम को प्राप्त हुये। आगे भी तीर्थंकर मुनिगण का, शिवथल यह मुनिनाथ कहें।।१।। दोहा सिद्धिवधू प्रिय तीर्थकर, मुनिगण तीरथराज। आह्वानन कर मैं जजूँ, मिले…
समुच्चय चौबीसी जिनपूजा वृषभ अजित संभव अभिनंदन, समुति पदम सुपार्श्र्व जिनराय। चंद्र पुहुप शीतल श्रेयांस नमि, वासुपूज्य पूजित सुरराय।। विमल अनंत धरम जस उज्जवल, शांति कुंथु अर मल्लि मनाय। मुनिसुव्रत नमि नेमि पार्श्र्व प्रभु, वद्र्धमान पद पुष्प चढ़ाय।। ॐ ह्रीं श्रीवृषभादिवीरांतचतुर्विंशतिजिनसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीवृषभादिवीरांतचतुर्विंशतिजिनसमूह! अत्र…
शौरीपुर तीर्थ पूजा स्थापना (शंभु छंद) तीर्थंकर प्रभु श्री नेमिनाथ का, शौरीपुर में जन्म हुआ। माँ शिवादेवि अरु पिता समुद्रविजय का शासन धन्य हुआ।। उस जन्मभूमि शौरीपुर की, पूजन हेतू आह्वानन है। सन्निधीकरण विधि के द्वारा, मैं करूँ तीर्थ स्थापन है।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीनेमिनाथजन्मभूमिशौरीपुरतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। …
अयोध्या तीर्थ पूजा अथ स्थापना तर्ज-गोमटेश, जय गोमटेश…… आदिनाथ, जय आदिनाथ, मम हृदय विराजो-२ हम यही भावना करते हैं। भावना करते हैं, ऐसा आने वाला कल हो। हो नगर नगर में प्रभु पूजा, सारी धरती भक्ति स्थल हो।।हम०।।१।। युग की आदि में इन्द्रराज ने, नगरि अयोध्या रचवाई। श्री नाभिराय मरुदेवि को पाकर, सारी जनता…
काकन्दी तीर्थ पूजा (स्थापना) तर्ज-आओ बच्चों…….. चलो चलें काकन्दी नगरी, पुष्पदन्त को नमन करें। जन्मभूमि की पूजन करके, अपना पावन जनम करें।। तीरथ को नमन, तीरथ को नमन-२।।टेक.।। चौबिस तीर्थंकर में से, श्रीपुष्पदन्त नवमें प्रभु हैं। उनसे काकन्दी नगरी ने, प्राप्त किया वैभव सब है।। इन्द्र मनुज भी आकर जिस, तीरथ को…
श्री चन्द्रपुरी तीर्थ पूजा (स्थापना) शंभु छन्द अष्टम तीर्थंकर चन्द्रप्रभू की, जन्मभूमि है चन्द्रपुरी। गर्भागम से केवलज्ञानी, बनने तक पावन हुई मही।। उस चन्द्रपुरी तीरथ की पूजन, से पहले आह्वानन है। स्थापन सन्निधिकरण सहित, जन्मस्थल का आराधन है। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीचन्द्रप्रभजन्मभूमिचन्द्रपुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…
भद्रिकापुरी तीर्थ पूजा स्थापना (बसन्ततिलका छन्द) शीतल जिनेन्द्र जन्मस्थल को जजूँ मैं। श्री भद्रिकापुरी पुण्यस्थल भजूं मैं।। आह्वाननं कर यहाँ प्रभु को बुलाऊँ। उन जन्मभूमि की पूजा भी रचाऊँ।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीशीतलनाथजन्मभूमिभद्रिकापुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं तीर्थंकरश्रीशीतलनाथजन्मभूमिभद्रिकापुरीतीर्थक्षेत्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। ॐ ह्रीं…