05. सोलहगुण सहित द्वितीय पूजा
पूजा नं.—2 सोलहगुण सहित द्वितीय पूजा अथ स्थापना (तर्ज—आवो बच्चों तुम्हें दिखायें…) नाथ! आपका आह्वानन कर, यहाँ बुलायें आपको। स्थापन सन्निधीकरण कर, यहाँ बिठायें आपको।। वंदे जिनवरम् , वंदे जिनवरं, वंदे जिनवरं, वंदे जिनवरं।।टेक.।। आवो आवो हृदय कमल में, स्वामिन्! आन विराजो जी।। मन मंदिर का मोह अंधेरा, तत्क्षण दूर भगा दो जी। भक्ति भाव…