रत्नपुरी तीर्थ की आरती
रत्नपुरी तीर्थ की आरती रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज-मैं तो आरती उतारूँ रे…… मैं तो आरती उतारूँ रे, रत्नपुरी तीरथ की। जय जय जय रत्नपुरी जय जय जय-२…।।०।। तीर्थंकर प्रभु धर्मनाथ, जनमे थे जहाँ पर।..जनमे थे जहां पर। भानुराज पिता सुप्रभा, माता के घर पर।।…माता के घर पर।। देव इन्द्र आ गए, प्रभु के दर्श पा…