श्रवणबेलगोला के अभिलेखों में दान परम्परा!
श्रवणबेलगोला के अभिलेखों में दान परम्परा शुद्ध धर्म का अवकाश न होने से धर्म में दान की प्रधानता है। दान देना मंगल माना जाता था। याचक को दान देकर दाता विभिन्न प्रकार के सुखों की अनुभूति करता था। अभिलेखों के वण्र्य—विषय को देखते हुए यह माना जा सकता है कि दान देने के कई प्रयोजन…