08. ‘‘तदिये अतिथिसंविभागो।’’
‘‘तदिये अतिथिसंविभागो।’’ अमृतर्विषणी टीका अतिथिसंविभाग शिक्षाव्रत का लक्षण गुणनिधि तपोधन मुनियों को, बस स्वपर धर्म की वृद्धि हेतु। जो दान दिया जाता अतिथिसंविभाग व्रत विशेष।। यश मंत्र प्रती उपकार आदि, से अनपेक्षित हो भक्ति से। निज शक्ति विभव के अनूसार, उपकार करे गुरु भक्ति से।। गुणों के निधान और तपरूपी धन के धारक…