तीर्थंकर जन्मभूमि यात्रा
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चौबीस तीर्थंकर गणधर पूजा अथ स्थापना गीता छंद गणधर बिना तीर्थेश की, वाणी न खिर सकती कभी। निज पास में दीक्षा ग्रहें, गणधर भि बन सकते वही।। तीर्थेश की ध्वनि श्रवणकर, उन बीज पद के अर्थ को। जो ग्रथें द्वादश अंगमय, मैं जजूँ उन गणनाथ को।।१।। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरगणधरसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…
चारित्रशुद्धि व्रत पूजा स्थापना शंभु छंद सम्यक्चारित्र त्रयोदशविध, ये परमानंद प्रदाता हैं। इनके बारह सौ चौंतिस व्रत, ये परमसिद्धि के दाता हैं।। इनका वन्दन पूजन करके, विधिवत् आराधन करते हैं। निज हृदय कमल में धारण कर, हम स्वात्म सुधारस भरते हैं।।१।। ॐ ह्रीं त्रयोदशचारित्रभेदस्वरूप-एकसहस्रद्विशत-चतुस्त्रिंशन्मंत्रसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं त्रयोदशचारित्रभेदस्वरूप-एकसहस्रद्विशत-चतुस्त्रिंशन्मंत्रसमूह!…
चौंसठ ऋद्धि पूजा अथ स्थापना गीता छंद चौबीस तीर्थंकर जगत में, सर्व का मंगल करें। गुणरत्न गुरु गुण ऋद्धिधर, नित सर्व मंगल विस्तरें।। गुणरत्न चौंसठ ऋद्धियाँ, मंगल करें निज सुख भरें। मैं पूजहूँ आह्वान कर, मेरे अमंगल दुख हरें।।१।। ॐ ह्रीं चतु:षष्टिऋद्धिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं चतु:षष्टिऋद्धिसमूह!…
मेघमाला व्रत विधि मेघमाला व्रत भादों बदी प्रतिपदा से लेकर आश्विन वदी प्रतिपदा तक ३१ दिन तक किया जाता है। व्रत के प्रारंभ करने के दिन ही जिनालय के आँगन में सिंहासन स्थापित करें अथवा कलश को संस्कृत कर उसके ऊपर थाल रखकर, थाल में जिनबिम्ब स्थापित कर महाभिषेक और पूजन करे। श्वेत वस्त्र पहने,…
गौतम स्वामी पूजा गौतम स्वामी गीता छंद गणपति गणीश गणेश गण-नायक गणीश्वर नाम हैं। गणनाथ गणस्वामी गणाधिप, आदि नाम प्रधान हैं।। उन इंद्रभूति गणीन्द्र गौतम-स्वामि गणधर को जजूँ। स्थापना करके यहाँ सब, कार्य में मंगल भजूँ।।१।। ॐ ह्रीं श्रीगौतमगणधरपरमेष्ठिन्! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीगौतमगणधरपरमेष्ठिन्! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:…
गणधरवलय पूजा तर्ज—आवो बच्चों तुम्हें दिखायें……. आवो हम सब करेें अर्चना, गणधर देव प्रधान की। जिनवर दिव्यध्वनी को झेलें, द्वादशांग श्रुतवान की।। वंदे गणधरम्-४।। अड़तालिस ऋद्धी को धारें, द्वादशगण के ईश्वर हैं। यंत्ररूप हैं मंत्ररूप हैं, तंत्ररूप भी परिणत हैं।। ऐसे गुरु को वंदन करते, मिले राह कल्याण की।।आवो.।। श्री गणधर गुरु की पूजा…
कुण्डलपुर तीर्थ पूजा रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती स्थापना (चौबोल छन्द) महावीर…
कवलचान्द्रायण पूजा सकलगुणसमुद्रं देवदेवेन्द्रवंद्यम्। विमलवपुषि पीठे तीर्थतोयैश्च धौते।। वसुमितजिनदेवं चंद्रधौतं नमामि। सकलदुरतिव्यूहं हर्तुकामो भजेऽहम्।।१।। ॐ ह्रीं शशांकगोक्षीरधवलगात्र श्री चंद्रप्रभदेव! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं शशांकगोक्षीरधवलगात्र श्री चंद्रप्रभदेव! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं शशांकगोक्षीरधवलगात्र श्री चंद्रप्रभदेव! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणं। …
अकम्पनाचार्यादि सात सौ मुनियों की पूजन तर्ज – धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले. स्थापना सात शतक मुनिवरों की अर्चना करूँ, अर्चना करूँ इनकी वंदना करूँ। ये अकम्पनाचार्यादि थे, उपसर्गजयी मुनिराज थे।।सात शतक.।।टेक.।। हस्तिनागपुर नगरी के उद्यान में, एक बार इन मुनि के चातुर्मास थे। अग्नी का उपसर्ग किया बलि आदि ने, दूर…