34. त्रैलोक्य जिनचैत्य वंदना
त्रैलोक्य जिनचैत्य वंदना -बड़ी जयमाला- चाल-शेर जैवंत अनादी अनंत जैनमूर्तियाँ। जैवंत धर्ममूर्तिमंत जैनमूर्तियाँ।। जैवंत मणिमयादि अकृत्रिम जिनालया। जैवंत सर्वसौख्य के आलय जिनालया।।१।। जैवंत भवनवासि के जिनधाम सासते। जो सातकोटि लाख बाहत्तर विभासते।। जैवंत मध्यलोक के शाश्वत जिनालया। जैवंत पंचमेरु के अस्सी जिनालया।।२।। जैवंत जंबू आदि तरु के दश जिनालया। जैवंत हस्तिदंत१ बीस के जिनालया।। जैवंत…