रत्नत्रय पूजा
रत्नत्रय पूजा अथ स्थापना (गीता छंद) वर रत्नत्रय जिनधर्म हैं, सम्यक्त्वरत्न प्रधान है। अष्टांगयुत सम्यक्त्व है, सम्पूर्ण गुण की खान है।। आचार आठ समेत सम्यग्ज्ञान रत्न महान है। तेरह विधों युत रत्न सम्यक्-चरित पूज्य निधान है।। दोहा भरतैरावत क्षेत्र में, चौथे पाँचवें काल। शाश्वत रहे विदेह में, धर्म जगत प्रतिपाल।।२।। ॐ…