उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया
उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया तर्ज—चूड़ी मजा न देगी……………… उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया। जन-जन को जिनधरम से, परिचित नहीं कराया।। टेक.।। जाती व सम्प्रदायों, में धर्म को न बाँटो। इन्सान बँट गया अब, भगवान को न बाँटो।। भगवान को…… उत्तम सुखों का दायक, यह धर्म ही बताया।। …