महावीर की जन्मभूमि को, दो उसका सम्मान महावीर की जन्मभूमि को, दो उसका सम्मान। ज्ञानमती माताजी ने अब, किया है यह आह्वान।।टेक.।। कुण्डलपुर श्री वद्र्धमान की, जन्मस्थली कहाई। थे सिद्धार्थ पिता जिनके, माता त्रिशला बतलाई।। उस कुण्डलपुर का माताजी, करेंगी अब उत्थान। महावीर की जन्मभूमि को, दो उसका सम्मान।।१।। कलियुग का यह है प्रभाव, जो…
महावीर का २६०० वा जन्मजयन्ती उत्सव आया तर्ज-जहाँ डाल डाल पर…… महावीर का छब्बिस सौवाँ जन्मजंयती उत्सव आया, जिनधर्म का ध्वज लहराया-२।।टेक.।। है पुण्यवान यह भारत भू. जहाँ तीर्थंकर जन्मे हैं, जिस धरती पर प्रभु महावीर के, चिन्ह अभी मिलते हैं। चिन्ह…… उस कुण्डलपुर की पावन रज नमने का अवसर आया, जिनधर्म का ध्वज…
[[श्रेणी:भगवान_महावीर_एवं_जन्मभूमि_कुण्डलपुर_से_संबंधित_भजन]] ==मनुज प्रकृति से शाकाहारी== ”(अंग्रेजी पद्यानुवाद सहित)” मनुज प्रकृति से शाकाहारी, मांस उसे अनुकूल नहीं है। पशु भी मानव जैसे प्राणी, वे मेवा फल-फूल नहीं हैं।। Vegetarian is by nature man, No flesh can ever him suit. Like men, are animals blessed with life, Don’t use as flowers & fruit. (१) वे जीते हैं…
चलो बुलावा आया है चलो बुलावा आया है, पारसनाथ ने बुलाया है, अहिच्छत्र में पार्श्वनाथ का, अतिशय छाया है।। चलो.।।टेक.।। प्रेम से बोलो जय पारस की, सब मिल बोलो जय पारस की।। चलो.।। तप में लीन पार्श्व प्रभु पर जब कमठ ने आ उपसर्ग किया। पद्मावति धरणेन्द्र ने आ उपसर्ग दूर कर भक्ति…
शाश्वत है तीरथ मेरा तर्ज—फूलों सा चेहरा तेरा…… शाश्वत है तीरथ मेरा, सम्मेदगिरि नाम है। गिरिवरों में श्रेष्ठ है, आदि सिद्धक्षेत्र है, मधुवन परम धाम है।। टेक.।। कहते हैं इस गिरि की वन्दना से, तिर्यंच नरकायु मिलती नहीं है। श्रद्धा सहित इसकी अर्चना से, भव्यत्व कलिका खिलती रही है।। रात अंधेरी हो, भक्ति…
चलो सब मिल यात्रा कर लो तर्ज—चलो मिल सब…… चलो सब मिल यात्रा कर लो, तीर्थयात्रा का फल वर लो। चौबिस तीर्थंकर की सोलह, जन्मभूमि नम लो।। चलो.।। टेक.।। ऋषभ-अजित-अभिनंदन-सुमती, अरु अनंत जिनवर। नगरि अयोध्या में जन्मे, जो तीरथ है शाश्वत।। अयोध्या को वंदन कर लो, ऋषभदेव की जन्मभूमि का रूप नया लख…
भारत के जैनी वीरों तर्ज—ऐ मेरे वतन के लोगों…… भारत के जैनी वीरों, तुम सुन लो कथा पुरानी। सम्मेदशिखर पर्वत है, सिद्धों की अमिट निशानी।। टेक.।। इक नहीं अनन्तों जिनवर, साकेतपुरी में जन्मे। सम्मेदशिखर से शिवपद, पा सिद्धशिला पर पहुँचे।। उस रज को सिर पर धर लो, जो कहती अमर कहानी। सम्मेदशिखर पर्वत…
अहिच्छत्र जी तीरथ का तर्ज-जय जय माँ ज्ञानमती……….. अहिच्छत्र जी तीरथ का, इतिहास पुराना है। उन पार्श्व जिनेश्वर का, संदेश सुनाना है।। जहाँ जैनी संस्कृति का, भण्डार भरा सचमुच। उपसर्ग की वह घटना, स्मरण कराती युग।। उस तीरथ की रजकण, मस्तक पे लगाना है। अहिच्छत्र………………….।।१।। यह तीर्थक्षेत्र पावन, कण-कण इसका पूजित। वंदना इसका…
धरती का तुम्हें नमन है, आकाश का तुम्हें नमन है धरती का तुम्हें नमन है, आकाश का तुम्हें नमन है। चंदा सूरज करें आरती, छुटते जनम मरण हैं।। सौ सौ बार नमन है। ऋषभदेव जिनवर को युग का सौ सौ बार नमन है।।टेक.।। प्रभु का गर्भकल्याणक उत्सव इंद्र मनाया करते। छह महिने पहले…