02. समवसरण पूजा
पूजा नं.-1 समवसरण पूजा अथ स्थापना-अडिल्ल छंद समवसरण जिन खिले कमलसम शोभता। गंधकुटी है मानो उसमें कर्णिका।। ऋषभदेव के समवसरण की अर्चना। मनवांछित फल देती प्रभु की वंदना।।१।। -दोहा- अनंत चतुष्टय के धनी, तीर्थंकर आदीश। आह्वानन कर मैं जजूँ, नमूँ नमूँ नत शीश।।२।। ॐ ह्रीं अर्हं समवसरणविभूतिमंडित श्रीऋषभदेवतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननम्। ॐ ह्रीं…