04. त्रैलोक्य जिनालय पूजा
पूजा नं.-3 त्रैलोक्य जिनालय पूजा -दोहा- त्रिभुवन के जिनमंदिर शाश्वत, आठ कोटि सुखराशी। छप्पन लाख हजार सत्यानवे, चार शतक इक्यासी।। प्रति जिनगृह में मणिमय प्रतिमा, इक सौ आठ विराजें। आह्वानन कर जजूँ यहाँ मैं, जन्म-मरण दु:ख भाजें।।१।। ॐ ह्रीं त्रिलोकसंबंधि-अष्टकोटिषट्पंचाशल्लक्षसप्तनवतिसहस्रचतु:शतैकाशीति जिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं त्रिलोकसंबंधि-अष्टकोटिषट्पंचाशल्लक्षसप्तनवतिसहस्रचतु:शतैकाशीति जिनालयजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:…