दे दी जगत को तर्ज—दे दी हमें आजादी…. दे दी जगत को ज्ञानमती मात सी मिसाल। हे रत्नमती मात! तुमने कर दिया कमाल।। टेक.।। तुमको दहेज में मिला इक ग्रन्थ अनोखा। श्री पद्मनन्दि पंचिंवशती था अनूठा।। उस ग्रंथ के स्वाध्याय का रक्खा सदा खयाल।।हे रत्नमती…।।१।। संसार से विराग का उससे सबक मिला। तब…
माता जिनमत का सार तर्ज-मैं ससुराल…….. माता जिनमत का सार बताती हैं, सुनो वाणी तो इनकी।।टेक.।। पहली निधी बाहुबलि जी से पाई, जम्बूद्वीप की रचना बनाई। वो तो आगम का सार बताती हैं, छवि देखो तो उनकी।।१।। दूजी निधी हस्तिनापुर से पाई, जम्बूद्वीप के ध्यान से आई। वो तो तीरथ अयोध्या जाती…
ज्ञानमती माता तेरा तर्ज—काली तेरी चोटीहै…… ज्ञानमती माता तेरा जग में बड़ा नाम है। सारे नर-नारी तेरा गाते गुणगान हैं।। त्याग की मिसाल तूने करी कायम, क्वाँरी कन्या हो प्रथम।। टेक.।। पिता छोटेलाल जी व मोहिनी थीं माता। उनकी बगिया में पहला पुष्प जो खिला था। यही कहलार्इं ‘मैना’ बालिका रतन, क्वाँरी कन्या…
ज्ञानमती माताजी की तर्ज—धीरे-धीरे बोल…… ज्ञानमती माताजी की वाणी सुन लो।। वाणी सुन लो, जिनवाणी सुन लो।। जनवाणी भव भव में सुनी, जिनवाणी सुनकर ना गुनी।। ज्ञानमती माताजी……।।टेक.।। ज्ञान के मोती का हैं ये भण्डार ज्ञान की ज्योती इनमें भरी अपार। वीरसिंधु से दीक्षा ली स्वीकार, पुन: ज्ञानमति नाम किया साकार।। मुझे…
ज्ञानमती माता की तर्ज—तुम दिल की धड़कन में…… ज्ञानमती माता की, कृतियाँ सभी निराली हैं। ये तो तीर्थ बनाती हैं, खुद तीरथ सी प्यारी हैं।। तभी तो इनकी भी कीरत, जग भर में निराली है।। टेक.।। माँ मोहिनी की ये कन्या, जब से आर्यिका बनी हैं-२ मैना से ज्ञानमती बन, रत्नत्रय की धनी…
द्वारे आए, हे द्वारे आए, हे माँ तुझे शीश झुकाएं। ज्ञान सिखा दे मेरी माँ।। द्वारे……।। टेक.।। हम अज्ञानी भटक रहे हैं, दुनिया के चक्कर में। बतला दो सन्मार्ग हमें, तो छूट सकें भव दु:ख से।। द्वारे……।।१।। तुम दीपक तो मैं बाती हूँ, टिम-टिम मुझे जला देना। तुम पूनो तो मैं मावस, अपने…
पूछकर शशि धरातल पूछकर शशि धरातल के चाँद को कुछ बहाने से। ज्योत्स्नाओं से बह निकले सुधा निर्झर सुहाने से।। यही तो चाँद है जिसको मेरा अमृत पिलाना है। गगन औ भूमि में अमरत्व का संदेश लाना है।।१।। णमंसामि क्रिया जिनके चरणरज को नमन करती। नीर से भर कलशझारी पादकमलों में नित नमती।। आर्यिका…
माता जी मोहिनी तर्ज—माता ओ त्रिशला के लाल…… माता जी मोहिनी की चाँद, ज्ञानमती मां आई हैं। धरती पे सदियों के बाद, मानो ब्राह्मी माँ आई हैं।। टेक.।। पूनों का चाँद बनीं, अमृत झराया-माता अमृत झराया। नगरी का भाग्य बनीं, सबको जगाया-माता सबको जगाया।। विषयों का ना लीना स्वाद, ज्ञानमती मां आई हैं। माताजी…
तव चरणों में नमन तर्ज—बार-बार तोहे क्या समझाऊँ…….. तव चरणों में नमन हमारा करो मात स्वीकार। ज्ञानमती माताजी नैय्या लगा दो पार।। टेक.।। सुनी है हमने देव-शास्त्र-गुरु की महिमा। देखी तेरी वैसी ही गौरव गरिमा।। बालसती बन करके तुमने किया जगत उद्धार। ज्ञानमती माताजी नैय्या लगा दो पार।।१।। गुरुओं में गुरु शांतिसागराचार्य हुए।…