एक अकलंक धरती पे आया है फिर!
एक अकलंक धरती पे तर्ज-थक गया…… .एक अकलंक धरती पे आया है फिर, जिसने सोते से सबको जगाया है फिर। जिसने प्राचीन इतिहास पाया है फिर, बुझते दीपक को जिसने जलाया है फिर।।१।। उसके कार्यों की महिमा जगत ख्यात है, नाम उस प्रतिभा का ज्ञानमति मात है। चाहे हो कल्पद्रुम पाठ या रथ…