प्रथमाचार्य शांतिसागर की तर्ज-एक था बुल और एक थी बुलबुल….. प्रथमाचार्य शांतिसागर की, गुणगाथा सब मिल गाओ। हे भव्यात्मन्! उनकी गौरव-गाथा सबको बतलाओ।। प्रथमाचार्य…..।।टेक.।। श्री कुम्भोज में बाहुबली, प्रतिमा निर्माण प्रेरणा दी। श्री समन्तभद्र मुनिवर को, तीर्थ विकास प्रेरणा दी।। कहा उन्होंने कल्पवृक्ष सम प्रतिमा तीर्थ पे पधराओ।। प्रथमाचार्य….।।१।। सन् उन्निस सौ चव्वालिस…
पर्व दशलक्षण आया तर्ज—चाँद मेरे आ जा रे…… पर्व दशलक्षण आया है-२ भक्तों ने प्रभु की भक्ति से अपना, उपवन सजाया है।। पर्व…।। टेक.।। दशलक्षण का ये बगीचा, कितना सुन्दर लगता है। भादों शुक्ला पंचमि से, चौदस तक यह सजता है।। पर्व दशलक्षण आया है।।१।। कर्मों की विलक्षण गति है, ये सबको नाच…
सुनो इक पुण्यकथा सुन लो तर्ज-चलो सम्मेदशिखर चालो…….. सुनो इक पुण्यकथा सुन लो, पंचअणुव्रत की कथा सुन लो, अणुव्रत का अतिशय लख तुम अणुव्रत धारण कर लो।।सुनो.।।टेक.।। इक श्रावक ने गुरु से पंचअणुव्रत ग्रहण किया। सत्य अहिंंसा अरु अचौर्य, ब्रह्मचर्य का नियम लिया।। परिग्रह का प्रमाण सुन लो, पाँच पाप स्थूल त्याग का,…
गुरुवर शांतीसागर तर्ज—तेरी दुनिया से दूर…… गुरुवर शांतीसागर, थे इस युग के रत्नाकर, उन्हें याद रखना।। टेक.।। सुनते हैं जो इनकी मुनिचर्या की कहानी, रोमाँच होता है, रोमाँच होता है, मन में भान होता है। उनके जैसा त्यागी, तपस्वी कोई मुनिवर, न प्राप्त होता है, न प्राप्त होता है, न प्राप्त होता है।।…
प्रथमाचार्य शांतिसागर का तर्ज-माई रे माई…….. प्रथमाचार्य शांतिसागर का, अन्तिम प्रवचन सुन लो। हो जाएगा जन्म सफल, गुरुवाणी मन में धर लो।। बोलो गुरुवाणी की जय, बोलो जिनवाणी की जय।।टेक.।। जिनवर के लघु नन्दन मुनिवर, मुनिव्रत पालन करते। उग्र-उग्र तप करने हेतू, किये अनेकों व्रत थे।। दस हजार उपवास की संख्या, सुनकर चिंतन…
सत्य धरम जब पालन तर्ज—झिलमिल सितारों का…… सत्य धरम जब पालन होगा, पापों का प्रक्षालन होगा। इसका पालन वचन सिद्धि का साधन होगा।। सत्य धरम……।। टेक.।। जाने कितने झूठ भी मैंने, जनम जनम में बोले हैं। स्वार्थसिद्धि के कारण अपने, वचन न मैंने तोले हैं।। अब उन सबका क्षालन होगा, सत्य धरम जब पालन…
श्री आचार्य वीरसागर की तर्ज-माई रे माई…….. श्री आचार्य वीरसागर की, ज्ञानवाटिका प्यारी। उनके ज्ञान पुष्प से तुम, महका लो अपनी क्यारी।। जय हो वीर सिन्धु की जय, जय हो वीर सिंधु की जय.।।टेक.।। सदी बीसवीं के श्री प्रथमाचार्य शान्तिसागर हैं। उनके प्रथम शिष्य व पट्टाचार्य वीरसागर हैं।। उनकी शिष्या ज्ञानमती जी…
हे नाथ! आपसे मैं तर्ज—दिन रात मेरे स्वामी…… हे नाथ! आपसे मैं, वरदान एक चाहू। वरदान…… ऋजुता हृदय में लाकर, आर्जव धरम निभाऊँ। आर्जव……।। टेक.।। ना जाने क्यों कुटिलता का भाव आ ही जाता। हे प्रभु! उसे हटा कर समता का भाव लाऊँ।। समता का……।।१।। माया में फंसके मैंने मानव जनम गंवाया। अनमोल इस…
सभी मिल बोलो तर्ज-जपूँ मैं जिनवर जिनवर…….. सभी मिल बोलो जय जय, जैन सन्तो की जय जय। मुक्तिमार्ग के ये ही पथिक हैं सच्चे, मुनिवर सच्चे, गुरुवर सच्चे।। सभी मिल बोलो जय जय..।।टेक.।। वीरसिन्धु आचार्य प्रवर थे, रत्नपारखी वे गुरुवर थे। शिष्यरत्न बनते थे तभी तो उनके, मुनिवर सच्चे, गुरुवर सच्चे।। सभी मिल…