भगवान पार्श्वनाथ वन्दना
श्री पार्श्वनाथ वन्दना शंभु छंद-तर्ज-चंदन सा वदन.......... जय पार्श्व प्रभो! करुणासिंधो! हम शरण तुम्हारी आये हैं। जय जय प्रभु के श्री चरणों में, हम शीश झुकाने आये हैं।।टेक.।। नाना महिपाल तपस्वी बन, पंचाग्नी तप कर रहा जभी। प्रभु पार्श्वनाथ को देख क्रोधवश, लकड़ी फरसे से काटी।। तब सर्प युगल उपदेश सुना, मर कर...