12. दिक्कुमारजिनालय पूजा
पूजा नं.-12 दिक्कुमारजिनालय पूजा अथ स्थापना-गीता छंद सुर दिक्कुमारों के जिनालय लाख छीयत्तर कहें। ये सब अनादि अनंत अनुपम स्वर्ण चांदी के कहे।। निज रूप अवलोकें यहाँ दर्पण सदृश भविजन सदा। मैं पूजहूँ आह्वानन कर जिनधाम त्रिभुवन शर्मदा।।१।। ॐ ह्रीं दिक्कुमारदेवभवनस्थितषट्सप्ततिलक्षजिनालयजिनिंबबसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं दिक्कुमारदेवभवनस्थितषट्सप्ततिलक्षजिनालयजिनिंबबसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।…