भगवान पार्श्वनाथ चालीसा
श्री पार्श्वनाथ चालीसा दोहा तेईसवें जिननाथ हैं, पार्श्वनाथ भगवान। चिंतामणि हो नाथ तुम, चिंतित फल दातार।।१।। क्षमा-धैर्य अरु सहिष्णुता की मूर्ती भगवान। इनके चरणों में करूँ, शत-शत बार प्रणाम।।२।। चौपाई इक है काशी देश मनोहर, जिसकी सुन्दरता है चितहर।।१।। उसमें नगरि बनारस प्यारी, उस धरती को ढोंक हमारी।।२।। वहाँ थे अश्वसेन महाराजा, धर्मनिष्ठ थे वे...