43. कृतिकर्म विधि के प्रमाण
कृतिकर्म विधि (अध्याय २) कृतिकर्म विधि के प्रमाण (विभिन्न ग्रंथों से) (जैन साधु एवं श्रावकों के लिए) अमृतर्विषणी टीका— कषायप्राभृत ग्रंथ में कहा है जिण-सिद्धाइरिय-बहुसुदेसु वंदिज्जमाणेसु जं कीरइ कम्मं तं किदियम्मं णाम। तस्स आदाहीण-तिक्खुत्त-पदाहिण-तिओणद-चदुसिर-वारसावत्तादि-लक्खणं विहाणं फलं च किदियम्मं वण्णेदि।१ जिनदेव, सिद्ध, आचार्य और उपाध्याय की वन्दना करते समय जो क्रिया की जाती है उसे कृतिकर्म…