भगवान पद्मप्रभ वन्दना
श्री पद्मप्रभ वन्दना दोहा श्रीपद्मप्रभु गुणजलधि, परमानंद निधान। मन वचतन युत भक्ति से, नमूँ नमूँ सुखदान।।१।। चामरछंद देवदेव आपके पदारिंवद में नमूँ। मोह शत्रु नाशके समस्त दोष को वमूँ।। नाथ! आप भक्ति ही अपूर्व कामधेनु है। दु:खवार्धि से निकाल मोक्ष सौख्य देन है।।२।। जीव तत्त्व तीन भेद रूप जग प्रसिद्ध है। बाह्य अंतरातमा व...