19 . सर्व साधु पूजा
पूजा नं.—18 सर्व साधु पूजा —अथ स्थापना-गीता छंद— जो साधु तीर्थंकर समवसृति में सदा ही तिष्ठते। वे सात भेदों में रहें निज मुक्तिकांता प्रीति तें।। ऋषि पूर्वधर शिक्षक अवधिज्ञानी प्रभू केवलि वहां। विक्रियाधारी विपुलमतिवादी उन्हें पूजूँ यहाँ।। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरसमवसरणस्थितसर्वऋषिसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरसमवसरणस्थितसर्वऋषिसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ…