02.रत्नत्रय वंदना
रत्नत्रय वंदना -शंभु छंद- जिनने रत्नत्रय धारण कर, परमेष्ठी का पद प्राप्त किया। अर्हंत-सिद्ध-आचार्य-उपाध्याय, साधु का पद स्वीकार किया।। इन पाँचों परमेष्ठी के, श्रीचरणों में मेरा वंदन है। रत्नत्रय की प्राप्ती हेतू, रत्नत्रय को भी वंदन है।।१।। रत्नत्रय के धारक श्री चारितचक्रवर्ती गुरु को वंदन। बीसवीं सदी के प्रथम सूर्य, आचार्य शांतिसागर को नमन।। श्री…