ऋषिमंडल पूजा विधान
ऋषिमंडल पूजा विधान ऋषिमण्डल स्तोत्र (संस्कृत) ऋषिमंडल पूजा विधान चौबीस तीर्थंकर पूजा अथ अष्टबीजाक्षर पूजा अथ अर्हन्त आदि पूजा अथ भावनेन्द्रादि पूजा अथ श्री आदि देवता पूजा इष्ट प्रार्थना संघादिपूजा ***
ऋषिमंडल पूजा विधान ऋषिमण्डल स्तोत्र (संस्कृत) ऋषिमंडल पूजा विधान चौबीस तीर्थंकर पूजा अथ अष्टबीजाक्षर पूजा अथ अर्हन्त आदि पूजा अथ भावनेन्द्रादि पूजा अथ श्री आदि देवता पूजा इष्ट प्रार्थना संघादिपूजा ***
संघादिपूजा शंभु छंद पूजा में आया चउविधसंघ, उसकी विधिवत् पूजा कीजे। पिच्छी व कमंडलु शास्त्र तथा, वस्त्रादि यथायोग्य दीजे।। पूजन कर्ता कारयिता को, धन वस्त्रों से तर्पित कीजे। सब जन मन को आनन्दित कर, पूजन का उत्तम फल लीजे।।१।। दोहा यह विधान जो विधि सहित, करें करावें भव्य। अनुमति दें भी धन्य वे, गुणनंदी हों…
इष्ट प्रार्थना शंभु छंद जलगंध अक्षत पुष्प चरु, दीपक सुधूप फलादि से। श्री आदि ये सब देवियाँ, विधिवत् किया अर्चित उन्हें।। ये भक्तवत्सलता भरीं, हम भक्त की रक्षा करें। सब विघ्न संकट चूरकर, सुख शांति दे संपति भरें।। इत्याशीर्वादः (इसके बाद ऋषिमंडल यंत्र के ऊपर शुद्ध लवंगों को या चमेली, जुही आदि फूलों को चढ़ाते…
अथ श्री आदि देवता पूजा गीता छंद श्री आदि देवी तुम सभी को, हम यहाँ आह्वानते। परिवार वैभव से सहित, आवो यहाँ बैठो अबे।। जिन धर्मवत्सल हम तुम्हारा, कर रहे आदर सतत। प्रत्येक को हम अर्घ अर्पण, से करें संतुष्ट अब।।१।। ॐ ह्रीं श्रीप्रमुखचतुर्विंशतिदेवताः अत्र आगच्छत आगच्छत, पुष्पांजलिः। अथ प्रत्येक पूजा रोलाछं श्री जिनवर की…
अथ भावनेन्द्रादि पूजा गीता छंद भावन अधिप आदिक कहें, जो इन्द्रगण वे सब यहाँ। आवें विराजें विघ्न नाशें, धर्मवत्सल से यहाँ।। जो मुनि श्रुतावधि आदि ऋद्धि, से सहित उनको यहाँ। मैं भक्ति से आह्वान कर, स्थापना भी कर रहा।।१।। ॐ ह्रीं भावनेशादिश्रुतावध्यादियोगिनः अत्र अवतरत अवतरत, आह्वाननं। ॐ ह्रीं भावनेशादिश्रुतावध्यादियोगिनः अत्र तिष्ठत तिष्ठत ठः ठः स्थापनं।…
अथ अर्हन्त आदि पूजा गीता छंद अर्हंत सिद्धाचार्य पाठक, सर्व साधू पांच ये। निजनिज गुणों से युत इन्हों को, भजूँ मन वच काय से।। सम्यक्त्व दर्शन ज्ञान चारित, मुक्ति के कारण कहे। व्यवहार निश्चय से द्विधा, इनको जजें शिवपथ लहें।।१।। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुतत्त्वदृष्टिज्ञानचारित्राणि! अत्र अवतरत अवतरत संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुतत्त्वदृष्टिज्ञानचारित्राणि! अत्र तिष्ठत तिष्ठत ठः…
अथ अष्टबीजाक्षर पूजा नरेन्द्र छंद ह भ म र घ झ स ख बीजाक्षर ये, बीज सदृश फलदायी। पिंड वर्ण आदी से संयुत, सब विध मंगलदायी।। इनका आह्वानन स्थापन, सन्निधिकरण करूँ मैं। सर्व अमंगल गृहबाधादिक, संकट दुःख हरूँ मैं।।१।। ॐ ह्रीं पिंडवर्णादिसंयुताः ह भ म र घ झ स खाः बीजाक्षराः! अत्र अवतरत अवतरत आह्वाननं।…
ऋषिमंडल पूजा विधान चौबीस तीर्थंकर पूजा शंभु छंद जिन प्रभु ने निजकर्मारि जीत, वैवल्यसूर्य को प्रकट किया। जग में भ्रमते सब जीवों को, दिव्य ध्वनि से संबोध दिया।। फिर सादी हो भी अंतरहित, अक्षय निर्वाण धाम पाया। उन ऋषभ आदि वीरांत जिनेश्वर, को मैं अब यजने आया।।१।। ॐ ह्रीं ऋषभादि वर्धमानान्तास्तीर्थंकर परमदेवाः! अत्र अवतरत अवतरत…
ऋषिमण्डल स्तोत्र (संस्कृत) आद्यंताक्षरसंलक्ष्य-मक्षरं व्याप्य यत्स्थितम् । अग्निज्वालासमं नादं, बिन्दुरेखासमन्वितम् ।।१। ।अग्निज्वालासमाक्रान्तं, मनोमलविशोधनम् । देदीप्यमानं हृत्पद्मे, तत्पदं नौमि निर्मलं।।२।। ॐ नमोर्हद्भ्य ईशेभ्य, ॐसिद्धेभ्यो नमो नमः। ॐ नमः सर्वसूरिभ्यः, उपाध्यायेभ्य ॐ नमः।।३।। ॐ नमः सर्वसाधुभ्यः, तत्त्वदृष्टिभ्य ॐ नमः। ॐ नमः शुद्धबोधेभ्य-श्चारित्रेभ्यो नमो नमः।।४।।युग्मं श्रेयसेस्तु श्रियेस्त्वेत-दर्हदाद्यष्टकं शुभं। स्थानेष्वष्टसु सन्यस्तं, पृथग्बीजसमन्वितं।।५।। आद्यं पदं शिरो रक्षेत्, परं रक्षतु मस्तकं।…
।। इन्द्रध्वज विधान।। ।। मंगलाचरण ।। इन्द्रध्वज विधान ॐ नम: सिद्धेभ्य: श्री इन्द्रध्वज विधान प्रारम्भ अथ देवागमविधि: —अनुष्टुप् छंद— अथ ध्वजारोहणविधानं 01 अथ स्थापना(पूजा नं.1) श्री सिद्ध परमेष्ठी पूजा 02 . समुच्चय पूजन 03 . सुदर्शनमेरु जिनालय पूजा 04 सुदर्शनमेरु संबंधी चार गजदंत जिनालय पूजा 05 सुदर्शनमेरु संबंधी जंबूवृक्ष शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा 06 सुदर्शनमेरु संबंधी…