31. विद्युन्माली मेरु सम्बन्धी षोडश वक्षार जिनालय पूजा
(पूजा नं.31) विद्युन्माली मेरु सम्बन्धी षोडश वक्षार जिनालय पूजा —अथ स्थापना—गीता छंद— कनकाद्रि१ विद्युन्मालि में जो पूर्व अपर विदेह हैं। उनमें कहे वक्षार गिरि सोलह सुवर्णिमदेह२ हैं।। उन पे जिनालय शाश्वते सुरवंद्य सोलह जानिये। जिनमूर्ति की कर थापना, यहँ पे महोत्सव ठानिये।।१।। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरसंबंधिषोडशवक्षारपर्वतस्थितसिद्धकूटजिनालय-स्थजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीविद्युन्मालीमेरसंबंधिषोडशवक्षारपर्वतस्थितसिद्धकूटजिनालय-स्थजिनबिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ…