50. रुचकगिरि उत्तरदिक् जिनालय पूजा
(पूजा नं.50) रुचकगिरि उत्तरदिक् जिनालय पूजा —अथ स्थापना—गीता छंद— सब इंद्रगण इंद्राणियों के, साथ जहं पे आवते। परिवार वैभव भी असंख्यों, साथ में ही लावते।। ऐसे रुचकवर अद्रि पे, उत्तरदिशी जिनधाम को। जिनबिम्ब को भी पूजते, नहिं विघ्न आते नाम को।।१।। ॐ ह्रीं श्रीरुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्सिद्धकूटजिनालयस्थजिन-बिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं श्रीरुचकवरपर्वतस्योपरि उत्तरदिक्सिद्धकूटजिनालयस्थजिन-बिम्बसमूह! अत्र तिष्ठ…