21. अचलमेरु के दक्षिण उत्तर द्वयइष्वाकार जिनालय पूजा
(पूजा नं.21) अचलमेरु के दक्षिण उत्तर द्वयइष्वाकार जिनालय पूजा —अथ स्थापना—शंभुछंद— वर द्वीप धातकी के दक्षिण, उत्तर में इष्वाकार कहे। ये द्वीप धातकी को पूरब, पश्चिम दो खंड में बांट रहे।। इन पर्वत पर दो जिनमंदिर, जिनप्रतिमा का आह्वान करूँ। सुरपति खगपति चक्री पूजित, जिनप्रतिमा का गुणगान करूँ।।१।। ॐ ह्रीं श्रीअचलमेरुसंबंधिदक्षिणोत्तरद्वयइष्वाकारपर्वतस्थितसिद्धकूट-जिनालयस्थजिनबिम्बसमूह! अत्र अवतर-अवतर संवौषट् आह्वाननं।…