पंचामृत अभिषेक एवं श्री शांतिसागर परम्पराचार्य पूजन
आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व पूज्यपाद स्वामी द्वारा रचित पंचामृत अजभिषेक का संस्कृत से हिंदी में अनुवाद कर गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने हमें प्रदान किया है ।
इस पुस्तक में उसी अभिषेक पाठ को निबंध किया है।
प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती श्री शांतिसागर जी महाराज की अक्षुण्ण परंपरा में अभी तक सात आचार्य हुए हैं, उन समस्त आचार्य परंपरा का दर्शन करने वाली पूज्य गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी आज हमारे समक्ष विराजमान हैं, उसी परंपरा के समस्त आचार्य महाराज की पूजन, चालीसा, आरती ,भजन आदि का संग्रह इस पुस्तक में किया गया।
इस पुस्तक को पूज्य आर्यिका श्री चंदनामति माताजी ने हमें लिखकर प्रदान किया है।
इसे पढ़कर हम भी भक्ति मार्ग पर बढें, यही मंगल कामना है।