02.1 प्रथमानुयोग का साहित्य और उसकी उपादेयता
प्रथमानुयोग का साहित्य और उसकी उपादेयता साहित्य की दृष्टि में मानव जीवन का सार्थक उत्कर्ष सम्यग्ज्ञान से होता है। इसके क्रमिक विकास रत्नकरण्ड श्रावकाचार के ज्ञानाधिकार प्रकरण में मानव के पुरुषार्थसाध्य श्रुतज्ञान की विवक्षा की गई है। श्रुतज्ञान द्रव्यश्रुत पर आधारित है और द्रव्यश्रुत प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग तथा द्रव्यानुयोग इन चार वर्गों में विभक्त है।…