उत्तम आर्जवधर्म!
उत्तम आर्जव धर्म (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) ऋजु भाव कहा आर्जव उत्तम, मन वच औ काय सरल रखना। इन कुटिल किए माया होती, तिर्यंचगती के दुख भरना।। मन में जो बात होवे उस ही को वचन से प्रगट करना (न कि मन में कुछ दूसरा होवे तथा वचन से कुछ दूसरा ही बोले)…