भगवान ऋषभदेव जैन मंदिर में संयम पर प्रवचन गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी मन और इन्द्रियों पर अनुशासन करना संयम कहलाता है। चंचल घोड़े के समान इन्द्रियाँ अत्यन्त चंचल हैं, इनके ऊपर यदि संयम रूपी लगाम का बन्धन न हो तो वह उस पर बैठने वाले को नरकरूपी गड्ढे में गिरा दे। बड़े-बड़े राजा, चक्रवर्ती आदि…