दु:खहरण विनती
दु:खहरण विनती श्रीपति जिनवर करुणायतनं, दु:खहरन तुम्हारा बाना है। मत मेरी बार अबार करो, मोहि देहु विमल कल्याना।।टेक।। त्रैकालिक वस्तु प्रत्यक्ष लखो, तुम सों कछु बात न छाना है। मेरे उर आरत जो वरतैं, निहचै सब सो तुम जाना है।। अवलोक विथा मत मौन गहो, नहिं मेरा कहीं ठिकाना है। जो राजविलोचन सोचविमोचन, मैं तुमसों...