08. आठवी अध्याय
जिनसहस्रनाम स्तोत्र (हिन्दी)- अध्याय 8 चाल—पूजों पूजों श्री…….. ‘वृहद्वृहस्पति’ प्रभु नाम है। सुरपति के गुरु सरनाम हैं। वंदते ही मिले मोक्षधाम है। सुनाम मंत्र वंदन करूँ मैं नित ही।। आवो वंदें जिनेश्वर नामा। जिससे पावें निजातम धामा। सर्व कर्मों का होवे खातमा। सुनाम मंत्र वंदन करूँ मैं नितही।।७०१।। प्रभु ‘वाग्मी’ तुम्हीं त्रिभुवन में। शुभवचन द्वादशों…