उदकावास!
उदकावास Name of a mountain & a protecting deity of Mahashankh mountain in Lavan ocean. उदय का आगे अभाव जिस गुणस्थान में जितनी प्रकृतियों की उदय व्युच्छित्ति हो उनका उदय उसी गुणस्थान तक है आगे नहीं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उदकावास Name of a mountain & a protecting deity of Mahashankh mountain in Lavan ocean. उदय का आगे अभाव जिस गुणस्थान में जितनी प्रकृतियों की उदय व्युच्छित्ति हो उनका उदय उसी गुणस्थान तक है आगे नहीं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दिगवलोकन An infraction of meditative relaxation (Kayotsarga) (to watch in all directions). कायोत्सर्ग का एक अचिार, आठों दिशाओं की तरफ देखना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध समुत्पत्तिक- जिन सत्कर्म स्थानों की उत्पत्ति बन्ध से होती है, उन्हें बन्ध समुत्पत्तिक कहते है। Bandha Samutpattika- meritorious places caused due to binding of karmas
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षोडशकारण भावना – Sodashakaarana Bhaavanaa. Sixteen spiritual reflections (sentiments causing to be Tirthankar(Jaina-Lord)). तीर्थंकर प्रकृति की कारणभूत दर्शनविशुद्धि आदि 16 भावनाएं ” दर्शन विशुद्धि, विनय संपन्नता, शीलव्रतों में अनतिचार (शीलव्रतेष्वनतिचार), अभीक्ष्णज्ञानोपयोग, संवेग, शक्तिस्ततप, शक्तितस्त्याग, साधु समाधि, वैयावृत्यकरण, अर्हंत भक्ति, आचार्यभक्ति, बहुश्रुत भक्ति, प्रवचन भक्ति, आवश्यक अपरिहाणि, मार्ग प्रभावना एवं प्रवचन वत्सलत्व “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रियदर्शा- महोराग जाती के व्यन्तारो का 10 वा भेद A type of peripatetic deities
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्दर्शन – Saddarshana. Six particular kinds of philosophies (Bauddha, Naiyayik, Sankhya, Jaina, Vaisheshik & Jaminiy). 6 दर्शन – बौद्ध, नैययिक, सांख्य, जैन, वैशेषिक तथा जैमिनीय “
इंद्रध्वज A type of worshipping to be performed by Indras. पूजा के पाँच (नित्यमह आष्टान्हिक इन्द्रध्वज कल्पद्रुम सर्वतोभद्र) भेदों में से एक भेद जो इन्द्रों द्वारा मध्यलोक के 458 मंदिरों पर ध्वजा चढ़ाकर की जाती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्खंड – Satkhanda. Six parts of Bharat Kshetra (region). जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र आदि के एक आर्य व 5 म्लेच्छ खंड ” इन्ही षट् खंडो को चक्रवर्ती जीतता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधन नामकर्म प्रकृति-शरीर नाम कर्म के उदय से प्राप्त हुए पुद्गलों का अन्योन्य प्रदेश संश्लेष जिसके निमित्त से होता है।इसके अभाव से शरीर लकडि़यों के ढेर जैसा हो जाता है। Bandhana Namakarna Prakrti- physique making karmic nature related to bonding
श्वेताम्बर – Shvetaambara. A Jaina sect originated from the division of Moolsangh (Digambar). दिगम्बर मान्यतानुसार भगवान महावीर के पश्चात् मूलसंघ दिगम्बर ही था ” बाद में (आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व) उत्तर भारत में दुर्भिक्ष अकाल पड़ने के कारण कुछ शिथिलाचारी साधुओ ने स्वेताम्बर संघ की स्थापना की “