गोत्र कर्म प्रकृति!
गोत्र कर्म प्रकृति Status determining Karmas. जिस कर्म के उदय से जीव उच्च और नीच कहा जाता है या उच्च-नीच कुल में उत्पन्न होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गोत्र कर्म प्रकृति Status determining Karmas. जिस कर्म के उदय से जीव उच्च और नीच कहा जाता है या उच्च-नीच कुल में उत्पन्न होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रातिहार्य- आषेक वृक्ष, तीन छत्र, रत्नमय सिंहासन, दिव्यध्वनि, दुन्दुभिनाद, पुश्पवृश्टि, प्रभामण्डल, चैंसठ चमरयुक्तता ये अरिहंत भगवान के 8 प्रातिहार्य कहलाते हैं। Pratiharya- Eight auspicious emblems of lord Arhant
गुल्म सेना का एक अंग जिसमें ९ रथ, ९ हाथी, ४५ पैदल और २७ घोड़े रहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणत (देव)- कल्पवासी देवों का एक भेद। Pranata (Deva)- A type of heavenly deities
गुणयोनि Basic place of birth (reg. body form). जीवों के शरीर ग्रहण का आधार रूप स्थान ; ये गुणों की अपेक्षा ९ प्रकार की होती है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
ट The eleventh consonant of the Devanagari syllabary.देवनागरी लिपि का ग्यारहवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बहिस्तत्त्व- तत्त्व का एक भेद; तत्त्व बहिस्तत्त्व और अन्तस्तत्त्वरुप परमात्मा तत्त्व ऐसे भेदों वाले होते है। Bahistattva- The external element
गति परिणाम Nature to go upwards (pre-salvation stage). जीव की ऊर्ध्वगति के स्वभाव का एक भेद ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बालपंडितमरण- सम्यग्दृष्टि देशव्रती श्रावक का मरण। Balapanditamarana- Death of a well conducting householder
गणधर कीर्ति Disciple of Acharya kuvalayachandra. ई. सन् ११३२ में आचार्य कुवलययन्त्र के शिष्य ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]